Thursday, 22 January 2015

साइबर क्राइम

साइबर क्राइम


साइबर क्राइम के अपराधियों का आतंक दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही चला जा रहा है। जिस तरह किसी अपराध को अलग-अलग श्रेणी जैसे लूट, डकैती, चोरी में बांटा जा सकता है उसी तरह साइबर क्राइम के भी अलग अलग प्रकार होते हैं।

साइबर क्राइम क्या होता है. इंटरनेट के ज़रिए किए जाने वाले अपराधों को साइबर क्राइम कहते हैं. जैसे आपके बैंक खाते की जानकारी लेकर उससे पैसा चुराना, आपके क्रैडिट कार्ड से चीज़ें ख़रीदना, स्वयं को एक कम्पनी दिखाकर लोगों से निवेश कराना, सॉफ़्टवेयर की चोरी, दोषपूर्ण सॉफ़्टवेयर भेजकर कम्प्यूटर को दूषित करना या किसी कम्प्यूटर सिस्टम में ग़ैर क़ानूनी रूप से घुसना.

साइबर अपराधों में फिशिंग जिसमें आपसे ईमेल के ज़रिए आपकी जानकारी जैसे बैंक का ख़ाता, पासपोर्ट नंबर मांगा जाता है आम है।

आपके कंप्यूटर में अगर एंटी-वायरस नहीं है तो कोई भी साइबर अपराधी आपके डाटा की चोरी कर सकता है और फिर इस जानकारी का इस्तेमाल एक झूठी आईडी बनाने के लिए कर सकता है।
विभिन्न संस्थाओं के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में साइबर अपराधों की दर 40-50 प्रतिशत तक बढ़ी है और अगले आंकड़े आने तक इसमें 100 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है।"

भारत में आईटी एक्ट 2008 लागू है। हर ज़िले में साइबर पुलिस स्टेशन है और मई 2013 में नेशनल साइबर सिक्योरिटी पॉलिसी भी लागू की गई है लेकिन साइबर अपराध को रोकने में कमी नज़र आती है।

साइबर अपराधों को रोकने के लिए विशेषज्ञों की टास्क फ़ोर्स बनाई जाए और साथ ही केंद्रीय साइबर सुरक्षा सेल बनाया जाए ताकि तेज़ सूचना का आदान-प्रदान एक केंद्र से दूसरे केंद्र में हो सके।
कैसे बरतें एहतियात

अगर स्कूल लेवल से ही बच्चों को साइबर क्राइम के बारे में जागरूक किया जाए तो वे सजग हो सकते हैं। इसके अलावा पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के ज़रिए एक 24X7 की हेल्पलाइन होनी चाहिए।

इस तरह हेल्पलाइन के ज़रिए पुलिस स्टेशन तक जाने में लगने वाले कीमती वक्त को बचाया जा सकता है और शायद डाटा भी।

अपने क्रेडिट और डेबिट कार्ड की जानकारी किसी के साथ बांटनी नहीं चाहिए, अपने कंप्यूटर और मोबाइल या हार्ड डिस्क जैसी चीज़ो को पासवर्ड और एंटी वायरस से सेफ़ रखें।
इंटरनेट का इस्तेमाल करने वालों को अब साइबर क्राइम की समस्या का अंदाजा तो होने लगा है। हर दिन ईमेल, फेसबुक अकाउंट, कंप्यूटर, क्रेडिट कार्ड या नेटबैंकिंग अकाउंट से जुड़ी साइबर क्राइम की सैकड़ों खबरें आती हैं। हम आपको बता रहे हैं कि साइबर क्राइम होने पर तुरंत कौन-कौन से जरूरी और एहतियाती कदम उठाने चाहिए...

आज के जमाने में एक अलर्ट कंप्यूटर यूजर को साइबर क्राइम का शिकार होने की स्थिति में अपने अधिकारों, उठाए जाने वाले कदमों और गलत तत्वों को सबक सिखाने का रास्ता मालूम होना चाहिए। कौन जाने, मुस्तैदी से उठाया गया एक कदम आपके नुकसान की भरपाई कर दे और शरारती तत्वों में डर पैदा कर दे, जिससे कि वह दोबारा किसी के साथ ऐसी हरकत न कर सके।

अगर आप ऐसे किसी अपराध के शिकार होते हैं, तो आपको चार स्तरों पर काम करने की जरूरत है। याद रखें, हर कदम पर मिलने वाले डॉक्युमेंट, मेसेज और दूसरी जानकारियों को सहेजना न भूलें। कानूनी लड़ाई लड़ने में वह आपके बहुत काम आएगी।
जैसे ही साइबर क्राइम का पता चले, उसे सीमित करने के कदम उठाएं। आपके क्रेडिट कार्ड या नेटबैंकिंग खाते से पैसे निकाल लिए जाने पर पहली फिक्र यह करनी चाहिए कि उससे और पैसे न निकल जाएं। तुरंत बैंक से संपर्क करना और क्रेडिट कार्ड ब्लॉक करवाना जरूरी है। यदि ईमेल या सोशल नेटवर्किंग अकाउंट हैक होता है, तो रिलेटेड वेबसाइट पर जाकर रिकवरी प्रक्रिया शुरू करनी होगी। लॉग-इन स्क्रीन पर जाकर देखें कि क्या कहीं पासवर्ड भूलने या अकाउंट रिकवर करने का लिंक दिखाई देता है? अगर वेबसाइट हैक की गई है, तो पहले अपने जरूरी डेटा को सहेजने में जुटें, ताकि और नुकसान होने से बचें। अपराध कब हुआ, उसकी तारीख और वक्त जरूर नोट कर लें।

दूसरा कदम: सबूत जुटाएं
जरूरी सबूत इकट्ठे करें, जिनका इस्तेमाल आप आगे की कार्रवाई में करेंगे। आपके फेसबुक अकाउंट पर अश्लील टिप्पणी की गई है या कोई अश्लील ईमेल भेजा गया है, तो उसे अपने पास सेव करना जरूरी है, क्योंकि फेसबुक वॉल पर की गई टिप्पणी को अपराधी हटा भी सकता है।

अपने फेसबुक पेज का स्क्रीनशॉट लेने की कोशिश करें। इसके लिए विंडोज 7 में मौजूद Snipping Tool का इस्तेमाल करें या फिर Control + Print Screen बटन को दबाकर Paint सॉफ्टवेयर में नई फाइल बनाकर माउस पर राइट क्लिक कर Paste दबाएं। अब फाइल को सेव कर लें। ईमेल अकाउंट को किस आईपी अड्रेस से हैक किया गया था, उसका ब्योरा भी तीनों प्रमुख ईमेल सर्विस प्रवाइडर - गूगल, याहू और आउटलुक (लाइव-हॉटमेल) में मौजूद रहता है।

मिसाल के तौर पर गूगल मेल अकाउंट में सबसे नीचे दाईं तरफ Last Account Activity लिखा मिलेगा। वहां दिए Detail लिंक को क्लिक करने पर यह जानकारी उपलब्ध होगी। यदि वेबसाइट हैक हुई है, तो उसकी मौजूदा स्थिति का स्क्रीनशॉट लेकर फाइल बना कर सेव कर लें। जहां तक क्रेडिट कार्ड या नेटबैंकिंग अकाउंट के दुरुपयोग का सवाल है, तो यदि आपके पास उससे किए गए खर्च के बारे में कोई एसएमएस या ईमेल मेसेज आया हो, तो उसे सहेजकर रख लें। इसी तरह अपने नेटबैंकिंग खाते में हुए ट्रांजैक्शन का स्क्रीन शॉट ले लें।

तीसरा कदम : सर्विस प्रवाइड से बात
अब तक आपने जो भी कदम उठाए हैं, वे अपने स्तर पर ही उठाए हैं। अब कार्रवाई के लिए आगे कदम उठाने की बारी है। रिलेटेड सर्विस प्रवाइडर (ईमेल वेबसाइट, क्रेडिट कार्ड कंपनी, बैंक, सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट से कॉन्टैक्ट कर औपचारिक शिकायत करें। इसके लिए भेजे जाने और पाने वाले सभी मेसेज/ईमेल का रेकॉर्ड जरूर रखें।

यदि नेटबैंकिंग या क्रेडिट कार्ड का दुरुपयोग हुआ है, तो जरूरी नहीं कि चूक आपसे ही हुई हो। यह बैंक से भी हुई हो सकती है। बैंकों से लोगों का डेटा चुरा लिए जाने या हैक कर लिए जाने की खबरें काफी आती हैं। हो सकता है कि किसी साइबर अपराधी ने किसी बैंक कर्मचारी के जरिए या बैंक के सर्वर या वेबसाइट को हैक करके आपके अकाउंट का ब्योरा हासिल किया हो। ऐसे में आपको हुए नुकसान की जिम्मेदारी बैंक पर भी आती है। कई बार बैंक ऐसे मामलों को सुलटाने के लिए खाताधारियों से समझौता भी कर लेते हैं।
अगर वेबसाइट हैक हुई है, तो अपनी वेब होस्टिंग कंपनी से बात कीजिए। हो सकता है कि उसके रेकॉर्ड में साइबर अपराधियों के आईपी अड्रेस या दूसरे ब्योरे मौज़ूद हों। अपराध ईमेल और सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट से संबंधित है, तो उन्हें अलग से मेल भेजकर या रिपोर्टिंग पेज के जरिए सूचना दें। फेसबुक परfacebook.com/help/263149623790594  पेज का इस्तेमाल करें, जहां सारा ब्योरा दिया गया है। संबंधित अपराधियों को ब्लॉक करने और उनके खिलाफ सबूत जुटाने के मामले में आपकी दी जानकारी उन वेबसाइटों के लिए महत्वपूर्ण सिद्ध हो सकती है।

चौथा कदम : पुलिस के पास जाएं
साइबर अपराधों की जांच और आगे कार्रवाई करने वाली एजेंसियों से संपर्क करें। आपको कम से कम दो जगहों पर शिकायत करने की जरूरत है - पहला, अपने राज्य की पुलिस की साइबर क्राइम सेल और दूसरा भारत सरकार की वह हाई लेवल एजेंसी, जो साइबर चुनौतियों के मामले देखती है। उसका नाम है - सेंट्रल इमर्जेंसी रिस्पॉन्स टीम (CERT-In)। तीसरा, केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) का साइबर क्राइम इन्वेस्टिगेशन सेल, जिसके काम-काज का दायरा पूरा भारत है।

साइबर अपराधों पर केंद्र सरकार के अधीन उच्च स्तरीय टीम का वेब पता है - cert-in.org.in/SecurityIncident.jsp 

सीबीआई साइबर क्राइम सेल का पता है
सूपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस,
साइबर क्राइम इन्वेस्टिगेशन सेल, सीबीआई,
5वां तल, ब्लॉक नंबर3, सीजीओ कॉम्प्लेक्स,
लोधी रोड, नई दिल्ली - 110003

क्रेडिट कार्ड से संबंधित मामलों में यदि आप बैंक के रुख से संतुष्ट नहीं हैं, तो जूरिसडिक्शन के अनुसार बैंकिंग ऑम्बड्समन से संपर्क करें। इसका ब्योरा रिजर्व बैंक की वेबसाइट पर मिलेगा:rbi.org.in/commonman/English/Scripts/AgainstBankABO.aspx 

यदि आपको 30 दिन के भीतर न्याय न मिले, या आप ऑम्बड्समन के निर्णय से असंतुष्ट हों, तो अपीलेट अथॉरिटी (रिजर्व बैंक गवर्नर) से संपर्क करें - rbi.org.in/scripts/AboutusDisplay.aspx?pg=Departments.htm 

अंत में, कोई भी जरिया काम न आए, तो अब तक के तमाम पत्र-व्यवहार और सबूतों के साथ अदालत की शरण लें।

भारत में साइबर क्राइम की जांच करने वाले पुलिस प्रकोष्ठ

दिल्ली में:
असिटेंट कमिश्नर ऑफ पुलिस,
इकनॉमिक ऑफेंस विंग, क्राइम ब्रांच,
सेकंड फ्लोर,
पुलिस ट्रेनिंग स्कूल,
मालवीय नगर, नई दिल्ली - 110 017
ईमेल : cbiccic@bol.net.in, dcp-eow-dl@nic.in

महाराष्ट्र (मुंबई) में:
साइबर क्राइम इन्वेस्टिगेशन सेल,
पुलिस कमिश्नर ऑफिस, एनेक्सी -3 बिल्डिंग, प्रथम तल,
क्रॉफर्ड मार्केट के पास, मुंबई 01
+91-22-22630829, +91-22-22641261
वेबसाइट : http://cybercellmumbai.gov.in/ 
ईमेल : officer@cybercellmumbai.com

हरियाणा में:
साइबर क्राइम और टेक्निकल इन्वेस्टिगेटिंग सेल,
जॉइंट कमिश्नर ऑफ पुलिस,
पुराना एसपी ऑफिस कॉम्प्लेक्स सिविल लाइंस, गुड़गांव,
ईमेल : jtcp.ggn@hry.nic.in

उत्तर प्रदेश:
साइबर कॉम्प्लेंट रिड्रेसल सेल
नोडल ऑफिस साइबर सेल आगरा, आगरा रेंज 7, कुचेरे रोड,
बालूगंज, आगरा - 232001
फोन : +91-9410837559
ईमेल : info@cybercellagra.com

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