Thursday, 22 January 2015

पावरफुल लीडर बनाएंगे आपको ये 8 टिप्स

पावरफुल लीडर बनाएंगे आपको ये 8 टिप्स


लीडर कौन होता है/ उसके भीतर कौन से गुण होने चाहिए/ ये कुछ ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब हम पाना चाहते हैं। लीडरशिप स्किल डिवेलप करने के लिए आपके भीतर ये 8 गुण जरूर होने चाहिए।
साफ-साफ अपनी बात रखें

जो कुछ आप कहना चाहते हैं, उसे साफ और सीधे शब्दों में कहें। आप जो भी बोल रहे हैं, उसमें पूरी पारदर्शिता और साफगोई होनी चाहिए। ईमानदार बने रहें।
हर किसी को सम्मान दें

हर किसी को पूरे मन से सम्मान दें और सुनिश्चित करें कि आप जो सम्मान दे रहे हैं, वह उस तक सही तरीके से पहुंचे भी। जो लोग आपकी टीम से संबंधित नहीं भी हैं, उनके प्रति भी अच्छा व्यवहार रखें। अपने कर्मचारियों के मुद्दों को सुलझाने की कोशिश करें।
पारदर्शिता लाएं

विश्वसनीय बनें। सूचनाओं को छिपाएं नहीं। एम्प्लॉयी के साथ कोई छिपा हुआ अजेंडा न रखें। सभी के साथ सहयोग की भावना बनाए रखें।
गलती के लिए माफी मांगने को तैयार रहें

अगर आपकी तरफ से कोई गलती हुई है तो उसके लिए माफी मांग लें। अगर संभव हो तो हर्जाना देने को भी तैयार रहें। चीजों को ढांपने की कोशिश न करें और गलतियों की जिम्मेदारी लें। विनम्र बने रहें। सही काम करें, जो सुविधाजनक है, वह नहीं।
रिजल्ट दें

सुनिश्चित करें कि आपका रेकॉर्ड रिजल्ट देने का हो। जो काम आपको सौंपा गया है, उसे पूरा करें। अगर कोई काम पूरा नहीं कर पा रहे हैं तो जिम्मेदारी लें, बहाने न बनाएं।
सीखते रहें और खुद को बेहतर बनाएं


सीखने और खुद को बेहतर बनाने की कोशिश करते रहें। अपनी स्किल और ज्ञान को लेकर अतिविश्वास से बचें। दूसरे लोग अगर फीडबैक दें तो उनका शुक्रिया अदा करें।
उम्मीदों के बारे में साफ बताएं


अपने कर्मचारियों से आप क्या उम्मीद रखते हैं, यह उन्हें साफ-साफ बता दें। उनके साथ इन उम्मीदों को डिस्कस करें और उनकी हामी भी ले लें। अगर सोच में अंतर है तो कुछ आप झुकें, कुछ सामने वाले को झुकाएं। किसी बात को थोपना या जिद पकड़ना सही नहीं होगा। इससे आपकी छवि अच्छी नहीं होगी।
जवाबदेही तय करें

अपने को और अपनी टीम के हर शख्स को उन कामों के प्रति जवाबदेह बनाएं जो वे कर रहे हैं। रिजल्ट अच्छे हों या बुरे उनकी जिम्मेदारी लें। अपने कर्मचारियों से बातचीत करें कि वे कैसे अपना काम ठीक से कर सकते हैं। आप चाहें तो उन्हें उदाहरण देकर भी समझा सकते हैं।

साइबर क्राइम

साइबर क्राइम


साइबर क्राइम के अपराधियों का आतंक दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही चला जा रहा है। जिस तरह किसी अपराध को अलग-अलग श्रेणी जैसे लूट, डकैती, चोरी में बांटा जा सकता है उसी तरह साइबर क्राइम के भी अलग अलग प्रकार होते हैं।

साइबर क्राइम क्या होता है. इंटरनेट के ज़रिए किए जाने वाले अपराधों को साइबर क्राइम कहते हैं. जैसे आपके बैंक खाते की जानकारी लेकर उससे पैसा चुराना, आपके क्रैडिट कार्ड से चीज़ें ख़रीदना, स्वयं को एक कम्पनी दिखाकर लोगों से निवेश कराना, सॉफ़्टवेयर की चोरी, दोषपूर्ण सॉफ़्टवेयर भेजकर कम्प्यूटर को दूषित करना या किसी कम्प्यूटर सिस्टम में ग़ैर क़ानूनी रूप से घुसना.

साइबर अपराधों में फिशिंग जिसमें आपसे ईमेल के ज़रिए आपकी जानकारी जैसे बैंक का ख़ाता, पासपोर्ट नंबर मांगा जाता है आम है।

आपके कंप्यूटर में अगर एंटी-वायरस नहीं है तो कोई भी साइबर अपराधी आपके डाटा की चोरी कर सकता है और फिर इस जानकारी का इस्तेमाल एक झूठी आईडी बनाने के लिए कर सकता है।
विभिन्न संस्थाओं के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में साइबर अपराधों की दर 40-50 प्रतिशत तक बढ़ी है और अगले आंकड़े आने तक इसमें 100 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है।"

भारत में आईटी एक्ट 2008 लागू है। हर ज़िले में साइबर पुलिस स्टेशन है और मई 2013 में नेशनल साइबर सिक्योरिटी पॉलिसी भी लागू की गई है लेकिन साइबर अपराध को रोकने में कमी नज़र आती है।

साइबर अपराधों को रोकने के लिए विशेषज्ञों की टास्क फ़ोर्स बनाई जाए और साथ ही केंद्रीय साइबर सुरक्षा सेल बनाया जाए ताकि तेज़ सूचना का आदान-प्रदान एक केंद्र से दूसरे केंद्र में हो सके।
कैसे बरतें एहतियात

अगर स्कूल लेवल से ही बच्चों को साइबर क्राइम के बारे में जागरूक किया जाए तो वे सजग हो सकते हैं। इसके अलावा पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के ज़रिए एक 24X7 की हेल्पलाइन होनी चाहिए।

इस तरह हेल्पलाइन के ज़रिए पुलिस स्टेशन तक जाने में लगने वाले कीमती वक्त को बचाया जा सकता है और शायद डाटा भी।

अपने क्रेडिट और डेबिट कार्ड की जानकारी किसी के साथ बांटनी नहीं चाहिए, अपने कंप्यूटर और मोबाइल या हार्ड डिस्क जैसी चीज़ो को पासवर्ड और एंटी वायरस से सेफ़ रखें।
इंटरनेट का इस्तेमाल करने वालों को अब साइबर क्राइम की समस्या का अंदाजा तो होने लगा है। हर दिन ईमेल, फेसबुक अकाउंट, कंप्यूटर, क्रेडिट कार्ड या नेटबैंकिंग अकाउंट से जुड़ी साइबर क्राइम की सैकड़ों खबरें आती हैं। हम आपको बता रहे हैं कि साइबर क्राइम होने पर तुरंत कौन-कौन से जरूरी और एहतियाती कदम उठाने चाहिए...

आज के जमाने में एक अलर्ट कंप्यूटर यूजर को साइबर क्राइम का शिकार होने की स्थिति में अपने अधिकारों, उठाए जाने वाले कदमों और गलत तत्वों को सबक सिखाने का रास्ता मालूम होना चाहिए। कौन जाने, मुस्तैदी से उठाया गया एक कदम आपके नुकसान की भरपाई कर दे और शरारती तत्वों में डर पैदा कर दे, जिससे कि वह दोबारा किसी के साथ ऐसी हरकत न कर सके।

अगर आप ऐसे किसी अपराध के शिकार होते हैं, तो आपको चार स्तरों पर काम करने की जरूरत है। याद रखें, हर कदम पर मिलने वाले डॉक्युमेंट, मेसेज और दूसरी जानकारियों को सहेजना न भूलें। कानूनी लड़ाई लड़ने में वह आपके बहुत काम आएगी।
जैसे ही साइबर क्राइम का पता चले, उसे सीमित करने के कदम उठाएं। आपके क्रेडिट कार्ड या नेटबैंकिंग खाते से पैसे निकाल लिए जाने पर पहली फिक्र यह करनी चाहिए कि उससे और पैसे न निकल जाएं। तुरंत बैंक से संपर्क करना और क्रेडिट कार्ड ब्लॉक करवाना जरूरी है। यदि ईमेल या सोशल नेटवर्किंग अकाउंट हैक होता है, तो रिलेटेड वेबसाइट पर जाकर रिकवरी प्रक्रिया शुरू करनी होगी। लॉग-इन स्क्रीन पर जाकर देखें कि क्या कहीं पासवर्ड भूलने या अकाउंट रिकवर करने का लिंक दिखाई देता है? अगर वेबसाइट हैक की गई है, तो पहले अपने जरूरी डेटा को सहेजने में जुटें, ताकि और नुकसान होने से बचें। अपराध कब हुआ, उसकी तारीख और वक्त जरूर नोट कर लें।

दूसरा कदम: सबूत जुटाएं
जरूरी सबूत इकट्ठे करें, जिनका इस्तेमाल आप आगे की कार्रवाई में करेंगे। आपके फेसबुक अकाउंट पर अश्लील टिप्पणी की गई है या कोई अश्लील ईमेल भेजा गया है, तो उसे अपने पास सेव करना जरूरी है, क्योंकि फेसबुक वॉल पर की गई टिप्पणी को अपराधी हटा भी सकता है।

अपने फेसबुक पेज का स्क्रीनशॉट लेने की कोशिश करें। इसके लिए विंडोज 7 में मौजूद Snipping Tool का इस्तेमाल करें या फिर Control + Print Screen बटन को दबाकर Paint सॉफ्टवेयर में नई फाइल बनाकर माउस पर राइट क्लिक कर Paste दबाएं। अब फाइल को सेव कर लें। ईमेल अकाउंट को किस आईपी अड्रेस से हैक किया गया था, उसका ब्योरा भी तीनों प्रमुख ईमेल सर्विस प्रवाइडर - गूगल, याहू और आउटलुक (लाइव-हॉटमेल) में मौजूद रहता है।

मिसाल के तौर पर गूगल मेल अकाउंट में सबसे नीचे दाईं तरफ Last Account Activity लिखा मिलेगा। वहां दिए Detail लिंक को क्लिक करने पर यह जानकारी उपलब्ध होगी। यदि वेबसाइट हैक हुई है, तो उसकी मौजूदा स्थिति का स्क्रीनशॉट लेकर फाइल बना कर सेव कर लें। जहां तक क्रेडिट कार्ड या नेटबैंकिंग अकाउंट के दुरुपयोग का सवाल है, तो यदि आपके पास उससे किए गए खर्च के बारे में कोई एसएमएस या ईमेल मेसेज आया हो, तो उसे सहेजकर रख लें। इसी तरह अपने नेटबैंकिंग खाते में हुए ट्रांजैक्शन का स्क्रीन शॉट ले लें।

तीसरा कदम : सर्विस प्रवाइड से बात
अब तक आपने जो भी कदम उठाए हैं, वे अपने स्तर पर ही उठाए हैं। अब कार्रवाई के लिए आगे कदम उठाने की बारी है। रिलेटेड सर्विस प्रवाइडर (ईमेल वेबसाइट, क्रेडिट कार्ड कंपनी, बैंक, सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट से कॉन्टैक्ट कर औपचारिक शिकायत करें। इसके लिए भेजे जाने और पाने वाले सभी मेसेज/ईमेल का रेकॉर्ड जरूर रखें।

यदि नेटबैंकिंग या क्रेडिट कार्ड का दुरुपयोग हुआ है, तो जरूरी नहीं कि चूक आपसे ही हुई हो। यह बैंक से भी हुई हो सकती है। बैंकों से लोगों का डेटा चुरा लिए जाने या हैक कर लिए जाने की खबरें काफी आती हैं। हो सकता है कि किसी साइबर अपराधी ने किसी बैंक कर्मचारी के जरिए या बैंक के सर्वर या वेबसाइट को हैक करके आपके अकाउंट का ब्योरा हासिल किया हो। ऐसे में आपको हुए नुकसान की जिम्मेदारी बैंक पर भी आती है। कई बार बैंक ऐसे मामलों को सुलटाने के लिए खाताधारियों से समझौता भी कर लेते हैं।
अगर वेबसाइट हैक हुई है, तो अपनी वेब होस्टिंग कंपनी से बात कीजिए। हो सकता है कि उसके रेकॉर्ड में साइबर अपराधियों के आईपी अड्रेस या दूसरे ब्योरे मौज़ूद हों। अपराध ईमेल और सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट से संबंधित है, तो उन्हें अलग से मेल भेजकर या रिपोर्टिंग पेज के जरिए सूचना दें। फेसबुक परfacebook.com/help/263149623790594  पेज का इस्तेमाल करें, जहां सारा ब्योरा दिया गया है। संबंधित अपराधियों को ब्लॉक करने और उनके खिलाफ सबूत जुटाने के मामले में आपकी दी जानकारी उन वेबसाइटों के लिए महत्वपूर्ण सिद्ध हो सकती है।

चौथा कदम : पुलिस के पास जाएं
साइबर अपराधों की जांच और आगे कार्रवाई करने वाली एजेंसियों से संपर्क करें। आपको कम से कम दो जगहों पर शिकायत करने की जरूरत है - पहला, अपने राज्य की पुलिस की साइबर क्राइम सेल और दूसरा भारत सरकार की वह हाई लेवल एजेंसी, जो साइबर चुनौतियों के मामले देखती है। उसका नाम है - सेंट्रल इमर्जेंसी रिस्पॉन्स टीम (CERT-In)। तीसरा, केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) का साइबर क्राइम इन्वेस्टिगेशन सेल, जिसके काम-काज का दायरा पूरा भारत है।

साइबर अपराधों पर केंद्र सरकार के अधीन उच्च स्तरीय टीम का वेब पता है - cert-in.org.in/SecurityIncident.jsp 

सीबीआई साइबर क्राइम सेल का पता है
सूपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस,
साइबर क्राइम इन्वेस्टिगेशन सेल, सीबीआई,
5वां तल, ब्लॉक नंबर3, सीजीओ कॉम्प्लेक्स,
लोधी रोड, नई दिल्ली - 110003

क्रेडिट कार्ड से संबंधित मामलों में यदि आप बैंक के रुख से संतुष्ट नहीं हैं, तो जूरिसडिक्शन के अनुसार बैंकिंग ऑम्बड्समन से संपर्क करें। इसका ब्योरा रिजर्व बैंक की वेबसाइट पर मिलेगा:rbi.org.in/commonman/English/Scripts/AgainstBankABO.aspx 

यदि आपको 30 दिन के भीतर न्याय न मिले, या आप ऑम्बड्समन के निर्णय से असंतुष्ट हों, तो अपीलेट अथॉरिटी (रिजर्व बैंक गवर्नर) से संपर्क करें - rbi.org.in/scripts/AboutusDisplay.aspx?pg=Departments.htm 

अंत में, कोई भी जरिया काम न आए, तो अब तक के तमाम पत्र-व्यवहार और सबूतों के साथ अदालत की शरण लें।

भारत में साइबर क्राइम की जांच करने वाले पुलिस प्रकोष्ठ

दिल्ली में:
असिटेंट कमिश्नर ऑफ पुलिस,
इकनॉमिक ऑफेंस विंग, क्राइम ब्रांच,
सेकंड फ्लोर,
पुलिस ट्रेनिंग स्कूल,
मालवीय नगर, नई दिल्ली - 110 017
ईमेल : cbiccic@bol.net.in, dcp-eow-dl@nic.in

महाराष्ट्र (मुंबई) में:
साइबर क्राइम इन्वेस्टिगेशन सेल,
पुलिस कमिश्नर ऑफिस, एनेक्सी -3 बिल्डिंग, प्रथम तल,
क्रॉफर्ड मार्केट के पास, मुंबई 01
+91-22-22630829, +91-22-22641261
वेबसाइट : http://cybercellmumbai.gov.in/ 
ईमेल : officer@cybercellmumbai.com

हरियाणा में:
साइबर क्राइम और टेक्निकल इन्वेस्टिगेटिंग सेल,
जॉइंट कमिश्नर ऑफ पुलिस,
पुराना एसपी ऑफिस कॉम्प्लेक्स सिविल लाइंस, गुड़गांव,
ईमेल : jtcp.ggn@hry.nic.in

उत्तर प्रदेश:
साइबर कॉम्प्लेंट रिड्रेसल सेल
नोडल ऑफिस साइबर सेल आगरा, आगरा रेंज 7, कुचेरे रोड,
बालूगंज, आगरा - 232001
फोन : +91-9410837559
ईमेल : info@cybercellagra.com

Saturday, 17 January 2015

पूर्वांचल राज्य क्यों चाहिए ?



पूर्वांचल राज्य क्यों चाहिए ?
मेरे प्यारे दोस्तों / बुजुर्गों / युवा साथियों , कुछ लोग अलग पूर्वांचल राज्य की मांग को सही मानते हैं लेकिन कुछ लोग इसका विरोध करते आ रहे हैं l पूर्वांचल राज्य मोर्चा इसके पक्ष में क्यों है इसके कई कारण हैं , लेकिन कुछ कारण हैं जिन्हें हम आपके सामने रख रहे हैं ll
जैसा की आप लोग जानते हैं की पूर्वांचल राज्य की मांग काफी समय से चल रही है , लेकिन जब हम इस प्रकार की विचारधारा को आगे बढाने के बारे में बात करते हैं तो पता लगता है की आम जनता से लेकर पूर्वांचल के प्रतिनिधित्व करने वाले नेता लोग भी इसके सन्दर्भ में कुछ ज्यादा उत्साहित नजर नहीं आते हैं l
उत्तर प्रदेश भारत के सबसे बड़े राज्यों में से है जहाँ आसानी से दो या तीन छोटे राज्यों की कल्पना की जा सकती है l
लेकिन सवाल यह उठता है की अलग पूर्वांचल प्रदेश क्यों ? तब जवाब होता है विकास, सुशासन और अच्छी से अच्छी व्यवस्था को जनता के बीच ले जाना और उन्हें लागू करना l और सबसे बड़ी बात अपने प्रदेश की इकॉनमी को खुद दुरुस्त करने के लिए रोजगार के नए अवसर उपलब्ध करना ll  
आप को अच्छी तरह पता है की पूर्वांचल से ही पुरे देश और देश के बहार भी नौकरी पेशा वर्ग जाता है l ये आपको हर जगह मिल जायेंगे शहरों में, अत्याधुनिक शहरों में, छोटे तथा अल्पविकसित शहरों में भी ll
बनारस और इलाहबाद के शिक्षा संसथान पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं , तब सवाल यह उठता है की पूर्वांचल के लोग इतने शिक्षित हैं फिर भी ये क्षेत्र इतना पिछड़ा क्यों है ? और यहाँ के लोग अलग राज्य की मांग क्यों नहीं करते ?
रोजगार / संस्कृति और विकास के मुद्दे पर : कृपया ध्यान दें , पूर्वांचल में पैसा कमाने का मुख्या पेशा राजनीती है l यहाँ रोजगार का कोई अवसर नहीं है l अपने खुद का का काम करने का कोई अवसर नहीं है l यहाँ के लोग सिर्फ और सिर्फ ठेकेदारी प्रथा द्वारा जीविका अर्जित करने में लगे रहते हैं l अगर गलती से कोई ठेका आया तो हजारों की संख्या में लोग आवेदन करते हैं , जिससे यहाँ गैंगवार की स्थिति उत्पन्न हो जाती है l जिसके वजह से पूर्वांचल बदनाम हो चूका है ll
अब मै उत्तर प्रदेश में हुए विकास की बात करता हूँ l तब सवाल यह उठता है की कितनी फैक्ट्रीज या इंडस्ट्रीज यहाँ उपलब्ध हैं या यहाँ इन्वेस्ट करने में अपनी रूचि दिखाते हैं l सिर्फ नॉएडा और गाजियाबाद को छोड़ दिया जाय तो कहीं भी  रोजगार के अवसर नहीं है l नॉएडा और गाजियाबाद भी इसलिए विकसित हुए हैं क्योंकि ये एनसीआर के अन्दर आते हैं ll
सरकार की गैर जिम्मेदाराना रवैये की वजह से सुगर मिल्स बंद होने के कगार पर आ गयी है , कानपूर का चमडा उद्योग भी बंद है है समझो ll
अब हम पूर्वांचल की बात करते हैं l यहाँ कोई भी उद्द्योग धंधा नहीं होने की वजह से यहाँ के लोग किस प्रकार से अपने खाने पिने का जुगत करते होंगे ये सोच के ही मन घबरा जाता है l आज अपने आप को जीवित रखने के लिए हमें संघर्ष करना पड रहा है तो हम किस आधार पर अपने बच्चे पैदा कर रहे हैं l उनका भविष्य क्या होगा ?
आज बहार के प्रदेशों में आपको रोजगार मिलना बंद हो जाए तो आप और आपके बच्चे और परिवार कहाँ जायेंगे क्या खायेंगे और कैसे जीवन यापन करेंगे ??
यही डर पूर्वांचल के लोगों को दुसरे प्रदेशों की तरफ पलायन करने को मजबूर कर रहे हैं और लोग अब दुसरे राज्यों में जाकर बसना भी शुरू कर चुके हैं l जिससे पूर्वांचल की संस्कृति भी ख़तम हो रही है ll
जरा सोचिये की अलग पूर्वांचल प्रदेश में रोजगार आएगा यहाँ पूर्वांचल के लोग काम करेंगे जो की बहार जाकर ऊँचे दरों पर काम करते हैं l चूँकि घर में रोजगार होगा तो सस्ते दरों पर काम करेंगे ,जिसकी वजह से सामान की कीमतें भी कम होंगी तो उत्पादक का भी फायदा होगा जिसकी देखा देखि और औद्योगिक इकाईयां भी आएँगी l आपके पास भी पैसा होगा, आपकी भी जरूरतों को पूरा करने का l आपके बच्चे भी कम उम्र में नौकरी कर के अपने परिवार की जिम्मेदारी उठाने के बजाय  अपने सपनों की उड़न पूरी कर सकेंगे l कोई खिलाडी, कोई सिनेमा का स्टार , कोई पायलट , कोई इंजिनियर, वो सारे सपने पूरे होंगे जिन सपनों को आपने मन में ही दबा लिया हो l जरा कल्पना करके देखिये ll
पूर्वांचल के लोगों से प्रार्थना है की आपके शहर गांव से जब भी किसी नेता का रथ गुजरे तो उनसे एक ही प्रार्थना करें की हमारे यहाँ रोजगार की व्यवस्था करो l अगर नहीं कर सकते तो कृपया यहाँ दुबारा न आयें ll
700-800 करोर रुपये पार्को और उद्यानों पर खर्च करने ,बेरोजगारी भत्ता बांटने के बजाय , नेताजी लोग अगर पूर्वांचल में रोजगार की व्यवस्था करें तो काफी अच्छा हो ll


Industrialisation / औद्योगिकीकरण



 
ज्यादा से ज्यादा रोजगार (अपने ही क्षेत्र में)


उद्द्योग धंधों के अनूकुल माहौल देने की वजह से परिवहन / बिजली व्यवस्था भी दुरुस्त ll

रोजगार होने की वजह से बहुत कम लोग ही कम समय में पैसा कमाने की लालच में अपराध का रस्ते पर जायेंगे जिससे अपराध का ग्राफ नीचे आएगा ll

रोजगार की व्यवस्था होने से बच्चे कम उम्र में नौकरी करने के बजाय अपनी अच्छी पढाई , लिखाई , और खेलों में रूचि दिखायेंगे l जिससे अच्छे खिलाडी , अच्छे और शसक्त युवा ,समाज के हित में काम करने वाले नेता भी बनेगें ll
अगर आप लोगों को लगता है की उपरोक्त बातें आप की समझ में आ गयी है तो आयें हमारे साथ कदम बढ़ाएं और अलग पूर्वांचल के सपने को साकार करें ll
अपना पूर्वांचल , विकसित पूर्वांचल

Wednesday, 14 January 2015

खुली चिट्ठी माननीय सुरेश प्रभु के नाम (बनारस से आजमगढ़ के रेलवे लाइन बिछाने के लिए प्रार्थना पत्र )



माननीय सुरेश प्रभु जी ,
हम आजमगढ़ियों की बहुत पुराणी मांग रही है की बनारस से गोरखपुर वाया आजमगढ़ के लिए रेलवे ट्रैक बिछाया जाय और उसपर ट्रेन चले ll
..................................................................
फ़िलहाल बनारस से आजमगढ़ के लिए डायरेक्ट कोई ट्रेन नहीं है l जो भी ट्रेने यहाँ आती हैं वे जौनपुर और शाहगंज के रास्ते घूमते घामते आती हैं l इससे हमारे कीमती समय का नुक्सान तो होता ही है लेकिन सिंगल ट्रैक होने के नाते ट्रेन के पहुँचाने का कोई ठीक ठिकान नहीं होता ll इसके अलावे 146.9 km का सफ़र तय करना पड़ता है ll इससे तो अच्छा यह होता है की लोग बस से 95.8 km का रास्ता तय कर लिया जाय
...................................................................
यदि हमारी बातों को मानकर बनारस से आजमगढ़ के लिए ट्रैक बिछाया जाता है तो यह दुरी घटकर 95.8 km की रह जायेगी और आजमगढ़ के लोगों का कीमती समय बचाने के साथ रेलवे की आमदनी भी बढ़ेगी तथा इस क्षेत्र के विकास में रेलवे का योगदान सराहनीय होगा ll
..................................................................
आप से पहले हमलोगों ने चिट्ठी और email के द्वारा माननीय रेल मंत्री बंसल जी, ममता जी, लालू जी , नितीश जी एवं मनोज सिन्हा जी को लिख चुके हैं ...l लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया ll आपसे विनम्र विनती है की कृपया करके इस क्षेत्र के विकास में रेलवे का योगदान देकर इतिहास में अपना नाम और रेलवे का योगदान अमर करवाएं ll
..........................................
(नोट :रूट का माप साथ में सलग्न किया है )

धन्यवाद

आशुतोष सिंह कौशिक
(राष्ट्रिय उपाध्यक्ष )
पूर्वांचल राज्य मोर्चा

तारीख पर तारीख, तारीख पर तारीख, तारीख पर तारीख

मेरे प्यारे देश वाशीयों
आज देश में एक के बाद एक रोज नए नए कांग्रेस के भ्रष्टाचार और घोटालों का खुलासा हो रहा हैं
किन्तु आज सभी राजनेती दल के नेता और घोटलेंबाज सिर्फ और सिर्फ एक ही बात कहतें हैं साबित कर के दिखाव या फिर अदालत में जावों, अदालत के दरवाजें खुले हैं.....
जानते हैं ये सब राजनेती दल के नेता और घोटलेंबाज ये क्यों कहतें है???
याद कीजिए 1993 में एक हिन्दी फिल्म आई थी उस का नाम था दामिनी और उस फिल्म में एक बहुत ही महसूर डायलोंग था तारीख पर तारीख, तारीख पर तारीख, तारीख पर तारीख.....तारीख पर तारीख मिलती रही हैं लेकिन इंसाफ नहीं मिला.....इंसाफ नहीं मिला, मिली हैं तो सिर्फ ये तारीख
और यही सच्चाई हैं देश के आम आदमी और खास आदमी में
सोचए जरा! सोचए जरा!
हिन्दी फिल्म दामिनी का महसूर डायलोंग........
मि लॉर्ड तारीख देने से पहले में कुछ अर्ज करना चहुगा....
इजाजत हैं
पहली तारीख में ये कहा गया की दामिनी पागल हैं और उसे पागल खाने भेज दिया गया जहां उसे पागल बनाने की पूरी कोशिश की गई
दूसरी तारीख से पहले अस्पताल में पड़ी उर्मि का खून कर दिया गया... और केस बना ख़ुदकुशी का...जबकि मेंने इस अदालत में ये साबित कर दिया की उर्मि ने ख़ुदकुशी नहीं की उस का खून हुआ हैं...
और शेखर भी उस दिन सारा सच कहने ही बाला था की जटा साब ने फिर से अपनी चाल चल दी.....बीमारी का नाटक कर के फिर से तारीख ले ली
नहीं तो मि लॉर्ड उसी दिन इस केस का फ़ैसला हो जाता.... और आज फिर से तारीख दे रहे हैं, उस तारीख से पहले सड़क पर कोई ट्रक मुझे मार कर चला जायगा और केस बने गा रोड़ एक्सीडेंट का..आप फिर से तारीख दे देगें और उस तारीख से पहले दामिनी को पागल बना कर पागलखाने में फेख दिया जायगा....
और इस तरह न तो कोई सच्चाई के लिए लड़ने बाला रहेगा...न ही इंसाफ मागनें बाला रह जायगी तो सिर्फ तारीख और रही होता रहा हैं मि लॉर्ड
तारीख पर तारीख, तारीख पर तारीख, तारीख पर तारीख.....तारीख पर तारीख मिलती रही हैं लेकिन इंसाफ नहीं मिला.....इंसाफ नहीं मिला, मिली हैं तो सिर्फ ये तारीख
कानूनों के दलालों ने तारीख को इंसाफ के खिलाफ एक हथियार की तरह इस्तेमाल किया हैं मि लॉर्ड, दो तारीखों के बीच अदालत के बहार ये कानून का धन्दा करते हैं धन्दा... जहा गवहा तोड़े जाते हैं, खरीदें जाते हैं मारें जाते हैं..... और रह जाती हैं सिर्फ तारीख.......
लोग इंसाफ के लिए अपनी जमीन जायदाद बेच कर केस लड़ते हैं और ले जाते हैं तो सिर्फ तारीख.......औरतों ने अपने गहनें जेवर यहाँ तक की मंगलसूत्र तक बेचे हैं इंसाफ के लिए.....और उन्हे भी मिली हैं तो सिर्फ तारीख.........
महीनों सालों चक्कर काटते काटते इस अदालत के कई फरियादी खुद बन जाते हैं तारीख......... और उन्हे भी मिलती हैं तो सिर्फ तारीख...
ये केस पूरे हिंदुस्तान के कमजोर और सताये हुए लोगों का हैं.....आज उन सब की नजरें आप पर गड़ी हैं आप पर की देते हैं...इंसाफ या तारीख?
अगर आप उन्हें इंसाफ नहीं दे सकते तो बंद कीजिए ये तमाशा....उखाड़ फेकिए इस कटघरों को....फाड़ दीजिए जला दीजिए इन कानून की किताबों को ताकि इंसाफ के इसे चक्कर में और लोग तव्हा न हों....बर्बाद न हों
सोचए जरा! कितनी सच्चाई हैं इस में..........
जागो भारत जागो! जागो भारत जागो!

Tuesday, 13 January 2015

रोमन अपनाओ, हिंदी बचाओ (चेतन भगत )


'हिंदी का महत्व बनाम अंग्रेजी' हमारे समाज की एक स्थायी बहस है। बड़े पैमाने पर देखें तो इसका विस्तार 'कोई भी देसी भाषा बनाम अंग्रेजी' की बहस तक किया जा सकता है, साथ में यह पुछल्ला भी जोड़ा जा सकता है कि किस तरह अंग्रेजी स्थानीय भाषाओं को खत्म करती जा रही है। यह राजनीतिक रूप से संवेदनशील मसला है। हर सरकार खुद को अन्य किसी भी सरकार से ज्यादा हिंदी हितैषी साबित करने पर आमादा है। इसी का नतीजा है कि बीच-बीच में आपको हिंदी उन्नयन अभियानों के दर्शन होते रहते हैं। इसके तहत सरकारी दफ्तर अनिवार्य रूप से अपने सारे सर्कुलर हिंदी में जारी करते हैं और ज्यादातर सरकारी स्कूल हिंदी मीडियम में ही डटे रहते हैं।

chetan-bhagats.jpgइस बीच अंग्रेजी बिना किसी उन्नयन अभियान के ही अभूतपूर्व गति से आगे बढ़ती जा रही है। वजह यह कि अंग्रेजी लोगों को बेहतर करियर की उम्मीद बंधाती है। इससे समाज में उनका रुतबा बढ़ता है। सूचना और मनोरंजन की एक बिल्कुल नई दुनिया उनके सामने खुल जाती है, और टेक्नॉलजी तक पहुंच भी बढ़ती है। हकीकत यही है कि अंग्रेजी की सामान्य जानकारी के बिना आप आज एक मोबाइल फोन या बेसिक मेसेजिंग ऐप्स का भी इस्तेमाल नहीं कर सकते।

हिंदी प्रेमियों का दुख-
बहुत से हिंदी प्रेमी और शुद्धतावादी आज के नए समाज से दुखी हैं, जहां युवा अपनी मातृभाषा को दरकिनार कर जल्द से जल्द अंग्रेजी की दुनिया में जाने को आतुर हैं। लेकिन हिंदी थोपने की जितनी कोशिश वे करते हैं, युवा उससे कहीं ज्यादा विरोध करते हैं। ऐसे में एक हिंदी प्रेमी (इसमें मैं भी शामिल हूं) क्या करे? और बाकी तमाम लोग ऐसा क्या करें कि हिंदी एक बोझ या बाध्यता न लगे? इसका समाधान यह है कि रोमन हिंदी अपनाई जाए। रोमन हिंदी हिंगलिश नहीं है। यह देवनागरी की बजाय ऐंग्लो-सैक्सन लिपि में लिखी हुई हिंदी भाषा है। उदाहरण के लिए 'आप कैसे हैं' को इस तरह लिखा जाए: 'aap kaise hain?'

ऐसा करना जरूरी क्यों है? ऐंग्लो सैक्सन लिपि व्यापक प्रचलन में है। यह कंप्यूटर के कीबोर्ड और मोबाइल की टच स्क्रीन में इस्तेमाल की जाती है। यह काफी लोकप्रिय है, खासकर युवाओं में। आज करोड़ों भारतीय व्हाट्सऐप का प्रयोग करते हैं, जहां तकरीबन सारी बातचीत हिंदी में होती है, लेकिन इसकी लिपि रोमन हुआ करती है। जी हां, देवनागरी लिपि डाउनलोड करने की सुविधा भी है, पर शायद ही कोई उसे प्रयोग में लाता हो। कई देवनागरी कीबोर्ड फोन में लिप्यांतरण करते हैं। यानी आप पहले रोमन में हिंदी टाइप करते हैं, फिर एक सॉफ्टवेयर उसका हिंदी टेक्स्ट तैयार करता है। जाहिर है, यूजर मूल रूप से रोमन हिंदी का ही इस्तेमाल कर रहा है।

रोमन हिंदी बॉलिवुड के पोस्टरों और विज्ञापनों में पहले ही प्रचलित हो चुकी है। ज्यादातर हिंदी फिल्मों के स्क्रीनप्ले रोमन हिंदी में लिखे जा रहे हैं। किसी भी बड़े शहर में घूमने निकलिए, यह मुमकिन नहीं कि रोमन लिपि में लिखे हिंदी कैप्शनों वाली होर्डिंग्स न दिखें। मगर, हिंदी के विद्वान, परंपरावादी और इसे बचाने की मुहिम में लगे लोग या तो इन बातों से अनजान हैं या बिल्कुल उदासीन। वे हिंदी भाषा और उसकी लिपि में कोई अंतर नहीं समझते। लोग आज भी हिंदी से प्यार करते हैं। बस आज की टेक्नॉलजी-आधारित जिंदगी में उस लिपि को शामिल करना उनके लिए मुश्किल हो गया है।

रोमन लिपि को अपनाकर हम हिंदी को बचा सकते हैं। देश की एकता के लिहाज से भी यह बड़ा कदम होगा क्योंकि इससे हिंदी और अंग्रेजी बोलने वाले एक-दूसरे के करीब आएंगे। तय है कि हिंदी के शुद्धतावादी यह सुझाव पसंद नहीं करेंगे। वे हिंदी को बिल्कुल उसी रूप में बनाए रखना चाहते हैं जैसी कि यह थी। मगर, वे भूल जाते हैं कि भाषा वक्त के साथ विकसित होती है। और आज वैश्वीकरण के दौर में अगर हिंदी एक ग्लोबल स्क्रिप्ट अपनाती है तो यह उसके लिए कई तरह से फायदेमंद होगा। इससे दुनिया भर में बहुत सारे लोग हिंदी सीखने को प्रोत्साहित होंगे। कई उर्दू शायर अपनी रचनाएं पारंपरिक उर्दू के बजाय देवनागरी में प्रकाशित कराते रहे हैं। ऐसा वे बड़े स्तर पर अपनी पहुंच बनाने के लिए किया करते हैं। लेकिन यह बीते वक्त की बात हो चुकी है। आज के समय की मांग यह है कि हिंदी को एक नए रूप में अपडेट किया जाए। इसकी शुरुआत हम सरकारी सूचनाओं और सार्वजनिक संकेतों को रोमन हिंदी में लाकर कर सकते हैं, ताकि लोगों में इसकी प्रतिक्रिया देखी जा सके।

किनारे पड़ने का खतरा-
संभावना यह भी है कि रोमन हिंदी प्रिंट मीडिया और किताबों के लिए एक नया उद्योग ही खड़ा कर दे। लाखों लोग इसका इस्तेमाल पहले से करते आ रहे हैं लेकिन अब तक किसी ने इसकी नई संभावनाओं के बारे में सोचा नहीं था। वैश्विक स्तर पर स्वीकार्य लिपि हिंदी भाषा के लिए भी उम्दा साबित होगी। ऐसा न हुआ तो हिंदी के लिए, अंग्रेजी के हमले के चलते किनारे पड़ जाने का खतरा बना हुआ है। दरअसल, एक भाषा को हमें शुद्धता के नजरिए से नहीं देखना चाहिए। उसे समय के साथ चलना और विकसित होना होगा। waqt ke sath badalna zaroori hai. मतलब आप समझ ही गए होंगे।

Thursday, 8 January 2015

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय या बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी



काशी हिन्दू विश्वविद्यालय या बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी में स्थित एक केन्द्रीयविश्वविद्यालय है। इस विश्वविद्यालय की स्थापना (बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय एक्ट, एक्ट क्रमांक १६, सन् १९१५) महामना पंडित मदन मोहन मालवीय द्वारा सन् १९१६ में वसंत पंचमीके पुनीत दिवस पर की गई थी। इस विश्वविद्यालय के मूल में डॉ॰ एनी बेसेन्ट द्वारा स्थापित और संचालित सेन्ट्रल हिन्दू कॉलेज की प्रमुख भूमिका थी।
संप्रति इस विश्वविद्यालय के दो परिसर है। मुख्य परिसर (१३०० एकड़) वाराणसी में स्थित है। मुख्य परिसर में ३ संस्थान्, १४ संकाय और १२४ विभाग है। विश्वविद्यालय का दूसरा परिसरमिर्जापुर जनपद में बरकछा नामक जगह (२७०० एकड़) पर स्थित है। यह एशिया का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय है।
इसके प्रांगण में विश्वनाथ का एक विशाल मंदिर भी है। विशाल सर सुंदरलाल चिकित्सालय, गोशाला, प्रेस, बुकडिपो एवं प्रकाशन, टाउन कमेटी (स्वास्थ्य), पी.डब्ल्यू.डी., स्टेट बैंक की शाखा, पर्वतारोहण केंद्र, एन.सी.सी. प्रशिक्षण केंद्र, "हिंदू यूनिवर्सिटी" नामक डाकखाना एवं सेवायोजन कार्यालय भी विश्वविद्यालय तथा जनसामान्य की सुविधा के लिए इसमें संचालित हैं। श्री सुंदरलाल, पं॰ मदनमोहन मालवीय, डॉ॰ एस. राधाकृष्णन् (भूतपूर्व राष्ट्रपति), डॉ॰ अमरनाथ झा, आचार्य नरेंद्रदेव, डॉ॰ रामस्वामी अय्यर, डॉ॰ त्रिगुण सेन (भूतपूर्व केंद्रीय शिक्षामंत्री) जैसे मूर्धन्य विद्वान यहाँ के कुलपति रह चुके हैं।

इतिहास[संपादित करें]

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में स्थित विश्वनाथ मंदिर का प्रातःकालीन दृश्य
विद्युत अभियांत्रिकी संकाय की इमारत
विद्युत अभियांत्रिकी संकाय की इमारत
रासायनिकी संकाय की इमारत
रासायनिकी संकाय की इमारत

पं. मदनमोहन मालवीय ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना का श्रीगणेश १९०४ ई. में किया, जब काशीनरेश महाराज प्रभुनारायण सिंह की अध्यक्षता में संस्थापकों की प्रथम बैठक हुई। १९०५ ई. में विश्वविद्यालय का प्रथम पाठ्यक्रम प्रकाशित हुआ। जनवरी, १९०६ ई. में कुंभ मेले में मालवीय जी ने त्रिवेणी संगम पर भारत भर से आयी जनता के बीच अपने संकल्प को दोहराया। कहा जाता है, वहीं एक वृद्धा ने मालवीय जी को इस कार्य के लिए सर्वप्रथम एक पैसा चंदे के रूप में दिया। डॉ॰ ऐनी बेसेंट काशी में विश्वविद्यालय की स्थापना में आगे बढ़ रही थीं। इन्हीं दिनों दरभंगा के राजा महाराज रामेश्वर सिंह भी काशी में "शारदा विद्यापीठ" की स्थापना करना चाहते थे। इन तीन विश्वविद्यालयों की योजना परस्पर विरोधी थी, अत: मालवीय जी ने डॉ॰ बेसेंट और महाराज रामेश्वर सिंह से परामर्श कर अपनी योजना में सहयोग देने के लिए उन दोनों को राजी कर लिया। फलस्वरूप बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी सोसाइटी की १५ दिसम्बर १९११ को स्थापना हुई, जिसके महाराज दरभंगा अध्यक्ष, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के प्रमुख बैरिस्टर सुंदरलाल सचिव, महाराज प्रभुनारायण सिंह, पं॰ मदनमोहन मालवीय एवं डॉ॰ ऐनी बेसेंट सम्मानित सदस्य थीं। तत्कालीन शिक्षामंत्री सर हारकोर्ट बटलर के प्रयास से १९१५ ई. में केंद्रीय विधानसभा से हिंदू यूनिवर्सिटी ऐक्ट पारित हुआ, जिसे तत्कालीन गवर्नर जनरल लार्ड हार्डिंज ने तुरंत स्वीकृति प्रदान कर दी। १४ जनवरी १९१६ ई. (वसंतपंचमी) के दिन ससमारोह वाराणसी में गंगातट के पश्चिम, रामनगर के समानांतर महाराज प्रभुनारायण सिंह द्वारा प्रदत्त भूमि में काशी हिंदू विश्वविद्यालय का शिलान्यास हुआ। उक्त समारोह में देश के अनेक गवर्नरों, राजे-रजवाड़ों तथा सामंतों ने गवर्नर जनरल एवं वाइसराय का स्वागत और मालवीय जी से सहयोग करने के लिए हिस्सा लिया। अनेक शिक्षाविद् वैज्ञानिक एवं समाजसेवी भी इस अवसर पर उपस्थित थे। गांधी जी भी विशेष निमंत्रण पर पधारे थे। अपने वाराणसी आगमन पर गांधी जी ने डॉ॰ बेसेंट की अध्यक्षता में आयोजित सभा में राजा-रजवाड़ों, सामंतों तथा देश के अनेक गण्यमान्य लोगों के बीच, अपना वह ऐतिहासिक भाषण दिया, जिसमें एक ओर ब्रिटिश सरकार की और दूसरी ओर हीरे-जवाहरात तथा सरकारी उपाधियों से लदे, देशी रियासतों के शासकों की घोर भर्त्सना की गई।
डॉ॰ बेसेंट द्वारा समर्पित सेंट्रल हिंदू कालेज में काशी हिंदू विश्वविद्यालय का विधिवत शिक्षणकार्य, १ अक्टूबर १९१७ से आरंभ हुआ। १९१६ ई. में आयी बाढ़ के कारण स्थापना स्थल से हटकर कुछ पश्चिम में १,३०० एकड़ भूमि में निर्मित वर्तमान विश्वविद्यालय में सबसे पहले इंजीनियरिंग कालेज का निर्माण हुआ तत्पश्चात क्रमशः आर्ट्स कालेज एवं साइंस कालेज स्थापित किया गया। १९२१ ई से विश्वविद्यालय की पूरी पढ़ाई कमच्छा कॉलेज से स्थानांतरित होकर नए भवनों में प्रारंभ हुई। विश्वविद्यालय का औपचारिक उद्घाटन १३ दिसम्बर १९२१ को प्रिंस ऑव वेल्स ने किया।

प्रमुख व्यक्तित्व

  • शांति स्वरूप भटनागर,
  • प्रोफ. टी आर अनंतरामन
  • अहमद हसन दानी, पुरातत्व विद्वान एवं इतिहासकार.
  • भूपेन हजारिका, गायक एवं संगीतकार
  • लालमणि मिश्र संगीतकार
  • बीरबल साहनी, पक्षी विज्ञान के विद्वान
  • प्रकाश वीर शास्त्री, भूतपूर्व सांसद आर्य समाज आंदोलन के प्रणेताओं में से एक
  • आचार्य रामचन्द्र शुक्ल, हिन्दी साहित्य के प्रमुख स्तंभों में से एक एवं इतिहासकार
  • रामचन्द्र शुक्ल, चित्रकार.
  • जयन्त विष्णु नार्लीकर
  • एम एन दस्तूरी, धातुकर्म के विद्वान
  • नरला टाटा राव
  • सुजीत कुमार - अभिनेता
  • समीर - गीतकार
  • मनोज तिवारी - भोजपुरी अभिनेता
  • सी एन आर राव-वैज्ञानिक, भारत रत्न से सम्मानित
  • मनोज सिन्हा-वर्तमान रेल राज्य मंत्री
माधव सदाशिव गोलवलकर (गुरु जी) [आरएसएस के द्वितीव सरसंघचालक] बाबू जगजीवन राम [भारत के पूर्व उप प्रधानमंत्री] अशोक सिंघल [ विश्व हिन्दू परिषद के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष]

संस्थान

  • चिकित्सा विज्ञान संस्थान
  • कृषि विज्ञान संस्थान
  • पर्यावरण एवं संपोष्य विकास संस्थान
  • भारतीय प्रौद्यौगिकी संस्थान

संकाय

  • संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय
  • संगीत एवं मंच कला संकाय
  • दृश्य कला संकाय
  • कला संकाय
  • वाणिज्य संकाय
  • शिक्षा संकाय
  • प्रबन्ध शास्त्र संकाय
  • विधि संकाय
  • विज्ञान संकाय
  • सामाजिक विज्ञान संकाय

संबद्ध महाविद्यालय

  • महिला महाविद्यालय,लंका,वाराणसी
  • वसंत कन्या महाविद्यालय, वाराणसी
  • बसंत कॉलेज, राजघाट, वाराणसी
  • डी.ए.वी. कॉलेज, वाराणसी
  • आर्य महिला डिग्री कालेज, चेतगञ्ज,वाराणसी
  • राजीव गांधी दक्षिणी परिसर बरकच्छा, मिर्जापुर

संबद्ध विद्यालय

  • रणवीर संस्कृत विद्यालय
  • केन्द्रीय हिन्दू विद्यालय, वाराणसी
  • केन्द्रीय हिन्दू कन्या विद्यालय, वाराणसी

कुलगीत


काशी हिन्दू विश्‍वविद्यालय के कुलगीत की रचना प्रसिद्ध वैज्ञानिकशान्ति स्वरूप भटनागर ने की थी। यह निम्नलिखित है-
मधुर मनोहर अतीव सुन्दर, यह सर्वविद्या की राजधानी।
यह तीन लोकों से न्यारी काशी।
सुज्ञान सत्य और सत्यराशी ॥
बसी है गंगा के रम्य तट पर, यह सर्वविद्या की राजधानी।
मधुर मनोहर अतीव सुन्दर, यह सर्वविद्या की राजधानी ॥
नये नहीं हैं ये ईंट पत्थर।
है विश्वकर्मा का कार्य सुन्दर ॥
रचे हैं विद्या के भव्य मन्दिर, यह सर्वसृष्टि की राजधानी।
मधुर मनोहर अतीव सुन्दर, यह सर्वविद्या की राजधानी ॥
यहाँ की है यह पवित्र शिक्षा।
कि सत्य पहले फिर आत्म-रक्षा ॥
बिके हरिश्चन्द्र थे यहीं पर, यह सत्यशिक्षा की राजधानी।
मधुर मनोहर अतीव सुन्दर, यह सर्वविद्या की राजधानी ॥
वह वेद ईश्वर की सत्यवाणी।
बने जिन्हें पढ़ के सत्यज्ञानी ॥
थे व्यासजी ने रचे यहीं पर, यह ब्रह्म-विद्या की राजधानी।
मधुर मनोहर अतीव सुन्दर, यह सर्वविद्या की राजधानी ॥
वह मुक्तिपद को दिलाने वाले।
सुधर्म पथ पर चलाने वाले ॥
यहीं फले फूले बुद्ध शंकर, यह राज-ऋषियों की राजधानी।
मधुर मनोहर अतीव सुन्दर, यह सर्वविद्या की राजधानी ॥
विविध कला अर्थशास्त्र गायन।
गणित खनिज औषधि रसायन ॥
प्रतीचि-प्राची का मेल सुन्दर, यह विश्वविद्या की राजधानी।
मधुर मनोहर अतीव सुन्दर, यह सर्वविद्या की राजधानी ॥
यह मालवीयजी की देशभक्ति।
यह उनका साहस यह उनकी शक्ति ॥
प्रकट हुई है नवीन होकर, यह कर्मवीरों की राजधानी।
मधुर मनोहर अतीव सुन्दर, यह सर्वविद्या की राजधानी ॥